Monday, March 15, 2010

सब माया की माया है.....

नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं....
आपको नहीं मायावती जी को.... क्योंकि उनको मिली है.... हजार हजार के नोटों वाली माला...
मैं ज्यादा नहीं बोलूंगा,,, क्योंकि नोएडा में काम करता हूं... माफ करें नोएडा नहीं.... गौतमबुद्ध नगर... मायावती जी ने यही नाम रखा है
लेकिन आज कुछ ऐसा दिखा की लोगों से बांटने की जरूरत है.... जिन लोगों ने दिन भर में एक बार भी खबरिया चैनल देखा होगा... उनको तो ये जरूर पता चल गया होगा कि... देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दलित, गरीब और मजदूरों का जनसैलाब मायावती की महारैली में पहुंचा..... लेकिन खबरिया चैनल में बैठे किसी वय्क्ति को ये हज़म नहीं हुआ.... और शाम होते होते बाहर आयी नोटों की माया.... जो लोग पूरे रैली को वोटों की माया समझ रहे थे.... उन्हें शाम तक मिली नोटों की माया.... ऐसी सच्चाई जिसे देख कर दुख हुआ... लेकिन आश्चर्य नहीं.... क्यों कि ये वाक्या नया नहीं था... सिर्फ तरीके में नयापन था.... नेताजी तो पहले भी नोटों की मालाओँ को धारण करती रही हैं.... लेकिन क्या देखने लायक सजावट थी नोटों में...माजा आ गया... गरीब और मजदूरों का दर्द भूल गया... नोटों की माला बनाने वाले कारीगर की कल्पना कर....उसकी कला के बारे में सोचकर मैं धन्य हो गया... नोटों की माला तैयार करने के लिए कारीगर को कोटी कोटी धन्यवाद.... ...... लेकिन हिंदी खबरिया चैनल से जुड़ा हूं.... इसलिए फिर से गरीबी वाले मुद्दे पर आ गया....क्यों कि खबरों की दुनिया में इसकी टीआरपी ज्यादा है.... ऐसे भी मायावती के बारे में ज्यादा लिखने की जरूरत नहीं है....सिर्फ माया का चेहरा दिखा तो टीआरपी मिल जाएगी....क्योंकि उस चेहरे में नोट के रंग हैं.... उस रंग में टीआरपी.... लेकिन पूरे घटना पर एक फिल्मकार की याद आई... कभी उन्होंने गरीबी बेचकर ऑस्कर कमाया था.... माया तुम क्या बेच रही हो.... कैसे कमा रही हो.... गरीब आदमी तो सपने भी नहीं देख सकता.... लेकिन मैं खुद को गरीबी रेखा से उपर मानता हूं.... इसलिए आज रात नींद की गोली खाकर सोउंगा... और कोशिश करूंगा कि सपने में इस माला को स्पर्श कर सकूं... या कम से कम दो चार फिट की दूरी से देख लूं.... अच्छा हां इसके लिए मैं सपने में बसपा का माया भक्त बनने के लिए भी तैयार हूं.... बसपा की सदस्यता के लिए भाषण भी याद कर लूंगा.... और हवाला या घोटाला कांड कर कार्यकर्ता बनने के लिए करोड़ों रुपये जोड़ने से भी परहेज नहीं है....

लेकिन पूरा मामला खराब हो सकता है अगर नोटों की माला के बारे में सोचकर नींद ही नहीं आई तो....
इसलिए मुबारक हो.... नया साल आपको नहीं... नोटों की माया को
धन्यवाद....
मनिष कुमार
आपका दलित विरोधी मनुवादी पत्रकार मित्र (मायावती के नियमों के मुताबिक)

Tuesday, March 9, 2010

महिला बिल से जनता में डर है....

राज्यसभा में इतिहास रच गया... सात सांसदों को मार्शल ने बाहर निकाल दिया.... सिर्फ सात सांसद पिछले दो दिनों से राज्यसभा में राज कर रहे थे.... बाकी इन्हें देख रहे थे.... कुछ सांसद इससे सीख ले रहे होंगे.... तो कुछ पूरी कवायद को सीखने की कोशिश कर रहे होंगे.... लेकिन इतिहास रच चुका है.... सांसदों को बाहर निकालने का नहीं.... महिला बिल पास होने का.... इसके लिए पूरे देश की महिलाओं को बहुत बहुत बधाई.... लेकिन इस महिला बिल से आम जनता बहुत डरी हुई है..... कुछ उदाहरण तो मैं इसके जरूर दे सकता हूं.... और इसका सबसे बड़ा उदाहरण बिहार जैसे राज्य में महिलाओं को आरक्षण मिलना है.... बिहार में विकास पुरूष के नाम से अवतरित नीतीश कुमार ने महिलाओं को पंचायत में आरक्षण दिया.... महिलाएं पंचायत प्रमुख, मुखिया, प्रधान, सरपंच और पंचायत से संबंधित कई पदों पर पहुंच गईं.... लोगों का लगा बिहार में नारी शक्ति मजबूत हो गई है..... लेकिन इसका उदाहण देखने को नहीं मिला..... बिहार में लोग जब महिला मुखिया से मिलने जाते हैं.... तो मिलने आते हैं... मुखिया पति.... सरकारी बैठकों में महिलाओं के जगह उनके पति पहुंचते हैं.... उन्हें प्रधान पति कहा जाता है.... महिला मुखिया घर में खाना बनाती है..... और उनके पति बैठकों में हिस्सा लेते हैं... ये सच्चाई है.... बिहार में नरेगा का आधा से ज्यादा पैसे मुखिया जी के पति देव ले जाते हैं.... जिला परषिद में महिलाओं को मिले आरक्षण का भी यही हाल है..... क्या इस बात की गारंटी कोई ले सकता है कि विधानसभाओं, लोकसभा और राज्यसभा में ऐसा नहीं होगा..... क्या इस पुरुष प्रधान समाज में महिला अपने फैसले लेने के लिए आजाद है.... क्या ये सच नहीं है राबड़ी के फैसले लालू लेते हैं.... क्या महिलाओं में शिक्षा का स्तर इतना बढ़ चुका है कि उन्हें ये अधिकार दिया जाए.... लालू, मुलायम और शरद को दोष दे सकते हैं.... लेकिन उनको झुठलाया नहीं जा सकता है.....

Wednesday, January 27, 2010

दिल्ली चलो से.... दिल्ली मत आओ तक....

पिछले दिनों में कनॉट प्लेस गया था.... जिसे दिल्ली का दिल कहा जाता है.... इस दिल की सर्जरी की जा रही है... या यूं कहें की इसे सजाया सवांरा जा रहा है... कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए यानी अतिथियों के लिए इसे सुंदर बनाया जा रहा है.... लेकिन गौर करने वाली बात है कि कई मौके पर दिल्ली की मुख्यमंत्री लोगों से दिल्ली न आने को कह चुकी ...है.... वो देसी लोगों को ही बाहरी बता चुकी हैं... कई बार कह चुकी हैं... दिल्ली मत आओ...दिल्ली अब लोगों का स्वागत नहीं कर सकती है... इसलीए अतिथि संभल जाओ.... क्योकिं अब दिल्ली दिलवालों की नहीं रही....दिल्ली कैसे स्वागत करने वाली है इसके लिए तैयार हो जाओ....यहां उस प्यार का जिक्र भी जरूरी है .... जो किसी और को चाहता है... लेकिन वो प्यार किसी तीसरे से करता है..... यानी बिहार और पूर्वांचल के लोग दिल्ली को चाहते हैं... लेकिन दिल्ली है कि विदेशियों के लिए सज धज रही है... मुख्यमंत्री कई मौकों पर दिल्ली मत आओ का संदेश दे चुकी हैं.....यहां पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नारे का जिक्र भी जरूरी है... उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए कहा था.... दिल्ली चलो..... और शीला जी कहतीं दिल्ली मत आओ.... शीला जी के नारे से लगता देश आजाद हो गया है.... और इसके साथ ही अतिथियों का सम्मान करने की परंपरा भी खत्म हो गई है.... जब अंग्रेज कनॉट प्लेस को बना रहे थे.... तो उस दौर नेताजी ने दिल्ली चलो का नारा दिया था.... पर अब जब भारत सरकार कनॉट प्लेस को सजा रही है... यी यूं कहें की फिर से तैयार कर रही है.... तो शीला जी कहती हैं दिल्ली मत आओ......

Tuesday, December 29, 2009

मुबारक साल 2009

2009 खत्म होने के कगार पर है... या यूं कहें की खत्म हो चुका है... एक साल के दौरान बहुत कुछ ऐसा हुआ... जिसने लोगों को नई चीजें सिखाईं और और बहुत कुछ ऐसा हुआ जिसे लोग जल्दी भूलना चाहेंगे....2009 में कई घटनाएं ऐसी हुईं... जिसे याद रखा जा सकता है... मैं भी यहां एक ऐसी ही घटना का जिक्र करना चाहूँगा.... और वो घटना है... 2009 में भारत में कोई आतंकवादी हमला न होना.... कुछ लोग इस बात को अजीब मान सकते हैं...... लेकिन सही मायने में ये एक बड़ी घटना है कि 2009 बिना किसी आतंकवादी हमले के खत्म हो गया.... सचमुच 2009 एक मुबारक साल रहा... इस साल की किस्मत अच्छी थी.... इसे अपने इतिहास में किसी आतंकी घटना को शामिल नहीं करना पड़ा.... पूरे साल लोग डर में जीते रहे....कि कब कहां आतंकी हमला हो जाए... लेकिन पूरा साल बिना किसी हादसे के गुजर गया... ये वाकई इस दशक के लिए बेहतरीन साल कहा जा सकता है.... जब लोग सिर्फ डरते रहे.... और आतंकवादियों के धमाके से बचते रहे.... इस साल में लोग सिर्फ डरे...मारे नहीं गए.....साल निकलने में कुल जमा कुछ घंटे बचे हुए हैं.... मैं उम्मीद और दुआ के साथ 2009 से विदा लेता हूं.... और सभी शुभचितकों को शुभकामनाएं देता हूं...