Tuesday, December 29, 2009

मुबारक साल 2009

2009 खत्म होने के कगार पर है... या यूं कहें की खत्म हो चुका है... एक साल के दौरान बहुत कुछ ऐसा हुआ... जिसने लोगों को नई चीजें सिखाईं और और बहुत कुछ ऐसा हुआ जिसे लोग जल्दी भूलना चाहेंगे....2009 में कई घटनाएं ऐसी हुईं... जिसे याद रखा जा सकता है... मैं भी यहां एक ऐसी ही घटना का जिक्र करना चाहूँगा.... और वो घटना है... 2009 में भारत में कोई आतंकवादी हमला न होना.... कुछ लोग इस बात को अजीब मान सकते हैं...... लेकिन सही मायने में ये एक बड़ी घटना है कि 2009 बिना किसी आतंकवादी हमले के खत्म हो गया.... सचमुच 2009 एक मुबारक साल रहा... इस साल की किस्मत अच्छी थी.... इसे अपने इतिहास में किसी आतंकी घटना को शामिल नहीं करना पड़ा.... पूरे साल लोग डर में जीते रहे....कि कब कहां आतंकी हमला हो जाए... लेकिन पूरा साल बिना किसी हादसे के गुजर गया... ये वाकई इस दशक के लिए बेहतरीन साल कहा जा सकता है.... जब लोग सिर्फ डरते रहे.... और आतंकवादियों के धमाके से बचते रहे.... इस साल में लोग सिर्फ डरे...मारे नहीं गए.....साल निकलने में कुल जमा कुछ घंटे बचे हुए हैं.... मैं उम्मीद और दुआ के साथ 2009 से विदा लेता हूं.... और सभी शुभचितकों को शुभकामनाएं देता हूं...

2 comments:

  1. आकाश के थाल में
    तारों के झिलमिलाते दीप रखकर
    उतारो मेरी आरती

    दूध मोंगरा का सफ़ेद फूल
    धरो मेरे सिर पर
    गुलाल से रंगे सोनामासुरी से
    लगाओ मेरे माथ पर टीका
    सरई के दोने में भरे
    कामधेनु के दूध से जुठारो मेरा मुँह

    कि नहीं आई
    कोई सनसनाती गोली मेरे सीने में
    कि नहीं भोंका गया मुझे छुरा
    कि नहीं जलाया गया मेरा घर
    कि वर्ष भर जीवित रहा मैं ।

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  2. hi manish, tumhara lekh acha hai...ise padh kar jo pehli cheez zehan mein uthi wo kuch is tarah hai...

    ek brahmaNn ne kahaa hai ke ye saal achchhaa hai

    zulm kii raat bahut jald Talegii ab to
    aag chuulhon men har ik roz jalegii ab to
    bhuuk ke maare koii bachchaa nahiin royegaa
    chain kii niind har ik shaKhs yahaaN soyegaa

    aaNdhii nafarat kii chalegii na kahiin ab ke baras
    pyaar kii fasal ugaaegii zamiin ab ke baras
    hai yahiin ab na koii shorsharaabaa hogaa
    zulm hogaa na kahiin Khuunkharaabaa hogaa
    os aur dhuup ke sadamen na sahegaa koii
    ab mere desh men beghar na rahegaa koii

    naye vaadon kaa jo Daalaa hai vo jaal achchhaa hai
    rahanumaaon ne kahaa hai ke ye saal achchhaa hai

    dil ke Khush rakhane ko Ghalib ye Khayaal achchhaa hai

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